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✨ Topic 28 – चौहान, तोमर और गौरी का हरियाणा से जुड़ा इतिहास
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⚔️ संघर्ष और विजय
- चौहानों और तोमरों के बीच लगातार संघर्ष चला।
- 12वीं शताब्दी में शासक अर्णोराज (अजमेर के चौहान) ने तोमरों को हराया।
- अजमेर को अजयराज ने बसाया था। तोमरों की तरफ से हारने वाला राजा “गोपाल” था।
- विग्रहराज IV (बीसलदेव) ने हांसी, हिसार, दिल्ली पर अधिकार कर तोमरों के विनाश की शुरुआत की।
- बीसलदेव को “हिमाचल पर्वत भूमि का शासक” व “मलेच्छों का विनाशक” कहा जाता है।
- भादानक राज्य (वर्तमान महेंद्रगढ़, गुरुग्राम, अलवर) का अंत पृथ्वीराज चौहान III ने किया।
⚔️ गौरी का आक्रमण
- तराईन का पहला युद्ध: गौरी और पृथ्वीराज चौहान III के बीच; हांसी के गोविंद राय की मदद से चौहान जीते; तबरहिंद (सरहिंद) पर अधिकार।
- तराईन का दूसरा युद्ध: गौरी से हार; पृथ्वीराज को अंधा कर मार डाला गया।
- बाद में हांसी से “जाटवा” नामक राजपूत और रेवाड़ी के गवर्नर “तेजपाल” ने विद्रोह किया, पर कुतुबुद्दीन ऐबक ने दबा दिया।
- 1206 में गौरी की मृत्यु के बाद उसका उत्तराधिकारी न होने से सारा राज ऐबक को मिल गया।
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📜 चौहानों से जुड़े साक्ष्य और अन्य तथ्य
- पृथ्वीराज II का अभिलेख हांसी से मिला।
- पृथ्वीराज III का राजकवि चंद्रबरदाई (जन्म: हिसार) – जिसने पृथ्वीराज रासो लिखा।
- पृथ्वीराज III ने असीगढ़ (हांसी) और तरावड़ी (करनाल) के किले बनवाए।
- गोहाना का पुराना नाम “गवम्भावना”; यहां चौहान III ने सेनापति दरिया सिंह के नाम पर किला बनवाया।
- पीर जमाल की मजार यहीं है; मातूराम की जलेबियां प्रसिद्ध।
🧠 अन्य बिंदु (ट्रिक के रूप में)
✅ याद रखने की ट्रिक: “हांसी-हिसार-दिल्ली पर बीसलदेव, फिर पृथ्वीराज ने भादानक खत्म कर बनाए किले।”✅ गोविंद राय (हांसी) की मदद से पहली जीत; दूसरी बार गौरी से हार।
✅ हिसार से चंद्रबरदाई, जिसने पृथ्वीराज रासो लिखा।
🌟 धन्यवाद!
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